बिलासपुर

बिलासपुर: भूमाफिया और अधिकारियों की मिलीभगत से 3 करोड़ का घोटाला, 20 साल से रह रहे भूस्वामियों पर मंडराया संकट..!
राजस्व अधिकारियों पर रिश्वत का आरोप ! निगम की रोक के बाद भी हो गई रजिस्ट्री, नामतंरण..??



बिलासपुर। न्यायधानी बिलासपुर में इन दिनों भूमाफियाओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है, जिससे उनके हौसले पस्त हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ राजस्व और निगम अधिकारियों पर भूमाफियाओं के साथ साठगांठ कर भ्रष्टाचार करने का गंभीर आरोप सामने आया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने 20 वर्ष पूर्व से मकान बनाकर रह रहे लोगों के मकानों को अवैध कब्जा बताकर उन्हें बेदखल करने का प्रयास किया है।



👉 3 करोड़ में हुआ शासकीय भूमि का सौदा
तिफरा स्थित खसरा क्रमांक 193 पर बनी साईं विहार कॉलोनी के आम रास्ते सहित लगभग 15,000 वर्गफुट शासकीय धरसा भूमि को भूमाफिया रमनदीप सलूजा, अजीत पटेल और मनोज गुप्ता ने राजस्व अधिकारियों और निगम अधिकारियों की मिलीभगत से 3 करोड़ रुपये में बेच दिया। आरोप है कि इस सौदे को अंजाम देने के लिए तहसीलदार, आरआई और पटवारी ने लाखों रुपये की रिश्वत ली।



👉 भूस्वामियों को धमकी भरे नोटिस
भूमाफियाओं के इशारे पर राजस्व अधिकारियों ने पूर्व में नियमविरुद्ध सीमांकन कराया था, जिसे अतिरिक्त कलेक्टर ने निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद अधिकारियों ने अवैध रूप से पुनः सीमांकन कराकर 20 वर्षों से रह रहे भूस्वामियों को अतिक्रमणकारी बताकर उन्हें धमकी भरे नोटिस भेजे हैं।

👉 शिकायतों के बावजूद भूमाफिया बेखौफ
साईं विहार विकास समिति तिफरा सहित स्थानीय भूस्वामियों और जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर, कमिश्नर और महापौर को लिखित शिकायत दी है। बताया गया कि तिफरा के खसरा क्रमांक 194 और 195 को भी शासकीय भूमि दर्शाकर वहां के निवासियों को अवैध कब्जाधारी बताया जा रहा है, जबकि नगर निगम ने इन मकानों के लिए 20 वर्ष पूर्व ही नक्शा पास किया था और संपत्ति कर भी वसूला जा रहा है।

👉 भूमाफियाओं को बचाने में जुटे अधिकारी
घुरू स्थित खसरा क्रमांक 304/1 और 304/2 को भूमाफिया रमनदीप सलूजा और अजीत पटेल ने खरीदा था। आरोप है कि उन्होंने तिफरा की शासकीय धरसा भूमि को निजी भूमि दर्शाकर अवैध प्लॉटिंग कर बेच दिया। साईं विहार समिति ने दो वर्षों से लगातार इसकी शिकायत की है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक भूमाफियाओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

👉 निष्पक्ष जांच की मांग
स्थानीय भूस्वामियों का कहना है कि यदि सीमांकन भूमाफियाओं के पक्ष में नहीं होता तो वे खुद को बचाने के लिए कानूनी दांव-पेंच का सहारा लेते। अब सवाल यह है कि जब निगम ने रजिस्ट्री पर रोक लगाई थी, तो फिर घुरू के खसरा क्रमांक 304/1, 304/2 और शासकीय धरसा भूमि का रजिस्ट्रेशन और नामांतरण कैसे हो गया?

👉 न्याय की उम्मीद में संघर्ष जारी
अब स्थानीय भूस्वामी, जनप्रतिनिधि और नागरिक निष्पक्ष सीमांकन कराकर न्याय की मांग कर रहे हैं। सवाल है कि कमिश्नर, कलेक्टर और महापौर भूमाफियाओं के खिलाफ FIR दर्ज कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करेंगे या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। वर्षों की पूंजी लगाकर घर बनाकर रह रहे नागरिक अब चुप बैठने वाले नहीं हैं और न्याय के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाने के लिए तैयार हैं।

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