
डेस्क खबर बिलासपुर…/ जिले के खाद्य विभाग में भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में खाद्य निरीक्षक ललिता शर्मा पर गरीबों के राशन गबन करने वाले दुकानदारों को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगा है। शिकायत के अनुसार, यह मामला 11 मार्च 2025 को कलेक्टर अवनीश शरण तक पहुंचा, लेकिन अब तक किसी कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है। वर्तमान में केंद्रीय मंत्री के अतिरिक्त निज सचिव हैं. और तत्कालीन एसडीएम अमित सिन्हा ने भी मामले की जांच के बाद 300 किवंटल चावल गबन मामले मे संचालक के खिलाफ कार्यवाही का प्रस्ताव भी भेजा था.. I
लगातार खाद्य विभाग़ और उसके अधिकारियों की गलत कामों में संलिप्त और कारगुजारियां उबर कर आ रही हैं, जिले में राशन दुकानों में हुए भ्रष्टाचार की फाइल को ऐसे ही दबा दिया जाता है, जिसपर कार्रवाई होना तो दूर उसपर संज्ञान तक नहीं लिया जाता.. अब इस तरह के चांवल गबन से जुड़े घोटाले में जब कलेक्टर के आदेश का ही मखौल खुलेआम अधिकारियों द्वारा उड़ाया जा सकता है, तो इस पर लगाम कैसे लगाई जा सकती है ये समझ से परे है.??



मस्तूरी के सुलौनी राशन दुकान में 300 क्विंटल चावल गबन का मामला सामने आया था, जिसकी शिकायत ग्रामीणों ने तत्कालीन एसडीएम अमित सिन्हा से की थी। इसके बाद एजेंसी संचालक के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में प्रस्ताव भेजा गया था। वहीं, एक अन्य मामले में उचित मूल्य दुकान पौड़ी (सीपत) के संचालक पर 100 क्विंटल चावल गबन का आरोप लगा है। इस मामले में संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का प्रस्ताव कलेक्टर तक पहुंचने ही नहीं दिया गया। आरोप है कि सहायक खाद्य अधिकारी ने फाइल दबाने के बदले 50 प्रतिशत कमीशन लिया था। ग्रामीणों और स्थानीय लोगों का कहना है कि खाद्य विभाग के अधिकारी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं और वर्षों से ऐसी फाइलें दबाकर रखी जाती हैं, जिन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। अब सवाल यह है कि कलेक्टर अवनीश शरण इन मामलों की जांच कब तक पूरी कराकर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे। यह मामला गरीबों के हक पर डाका डालने और प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण है, जिसे लेकर अब जनता जवाब की प्रतीक्षा कर रही है।

गरीबो के हक का निवाला हजम करने के तमाम तथ्यों के सामने आने के बाद भी दोषी राशन दुकान संचालको पर मेहरबान खाद्य अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोपों की बिलासपुर कलेक्टर जांच के बाद क्या कार्रवाई करते हैं ये तो समय बताएगा.. लेकिन इन घोटाले में संलिप्त संचालकों से अधिकारियों की मिलीभगत उजागर होना हो भ्रष्टाचार करने वालों को संरक्षण देना, बहुत गंभीर मामला है.. अब देखना होगा कि, सालों से दबे इन मामलों और अन्य दबे मामलों की गंभीरता से जांच कलेक्टर किस तरह से करवाते हैं और संलिप्त अधिकारियों पर कब तक कार्रवाई होती है..? ताकि गरीबो के निवालो पर मुह मारने वाले दोषियों को जेल भेजा जा सके !
