
डेस्क खबर बिलासपुर../ कांग्रेस के पीसीसी सचिव सिद्धांशु मिश्रा को आठ साल पुराने जमीन धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया है। यह वही मामला है, जिसमें पुलिस ने वर्ष 2017 में खारिजी प्रस्तुत कर मामला समाप्त कर दिया था। मामला सरकंडा थाना क्षेत्र का है, जहां प्रार्थी रजनीश साहू ने कांग्रेस नेता सिद्धांशु मिश्रा के खिलाफ जमीन धोखाधड़ी की शिकायत की थी। आरोप था कि सिद्धांशु मिश्रा, तत्कालीन तहसीलदार घनाराम महिलांगे और पटवारी कमल किशोर कौशिक ने खसरा नंबर 424/1, 424/4, 424/5, 424/6 कुल रकबा 0.223 हेक्टेयर (कुल 56 डिसमिल) के टुकड़ों की गलत चौहदी कर जमीन बेची थी। अदालत के निर्देश पर पुलिस ने धारा 167, 420, 465, 467, 468, 471, 120 (बी) भादवि एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)डी, 13(2) के तहत मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान डीएसपी द्वारा दी गई रिपोर्ट में आरोपों को निराधार बताया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि न तो प्रार्थी का उक्त भूमि से कोई संबंध पाया गया और न ही किसी भूमि स्वामी ने शिकायत दर्ज कराई। सिद्धांशु मिश्रा और अन्य अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध नहीं पाई गई। इसी आधार पर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने वर्ष 2017 में खारिजी प्रस्तुत कर मामला समाप्त कर दिया था।
आठ साल बाद पुलिस ने रिओपन कर फिर की गिरफ्तारी

आठ साल बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के निर्देश पर पुलिस ने मामले को फिर से खोला और सिद्धांशु मिश्रा को बयान दर्ज करने के लिए सरकंडा थाने बुलाया। बयान के बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर अदालत में पेश किया।
अदालत में लगी कांग्रेस समर्थकों की भीड़, पुलिस को फटकार
सिद्धांशु मिश्रा को मेडिकल जांच के बाद एडीजे फर्स्ट एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुनील जायसवाल की अदालत में पेश किया गया। सुनवाई के दौरान जज ने थाना प्रभारी और सीएसपी को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने सवाल किया कि आठ साल बाद अचानक ऐसा कौन-सा तथ्य सामने आया जिसके आधार पर गिरफ्तारी आवश्यक हो गई। जब पुलिस ने स्वयं मामले को खारिजी में प्रस्तुत किया था, तो अब गिरफ्तारी का क्या औचित्य है?
इस पर पुलिस अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। कांग्रेस नेता के वकील द्वारा जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया, जिस पर अदालत ने अगले दिन सुनवाई का समय निर्धारित किया और तब तक सिद्धांशु मिश्रा को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। अदालत में कांग्रेस समर्थकों की भारी भीड़ जमा रही, जबकि इस मामले में तहसीलदार और पटवारी की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है।



