
डेस्क खबर बिलासपुर../ नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए इस बार चुनावी मैदान में असंतोष और गलत प्रत्याशी चयन ने कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों में घमासान मचा दिया है। दोनों पार्टियों के असंतुष्ट नेता निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं, जिससे समीकरण बदलने के पूरे आसार हैं।

धार्मिक नगरी रतनपुर में कांग्रेस पार्टी द्वारा शीतल जायसवाल को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी में असंतोष बढ़ गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि रतनपुर में कई वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ता हैं, जिन्हें यह मौका दिया जा सकता था। शीतल जायसवाल, जो पूर्व में वार्ड क्रमांक 4 से पार्षद चुनाव में सर्वाधिक वोटो से हार का सामना क़र चुके हैं और चयन प्रकिया मे स्थानीय या ब्लॉक वरिष्ठ नेताओं की सहमति नहीं ली गई,है जिससे असंतोष और बढ़ गया है। जिसके चलते ब्लाक अध्यक्ष रमेश सूर्या ने निर्दयलीय प्रत्याशी के रूप मे आज नामांकल दाखिल किया है राजनैतिक जानकारों का भी मानना है कि इस विवाद के चलते कांग्रेस को चुनावी मैदान में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ है। स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी से पार्टी की राह आसान नहीं दिख रही और जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को हार के रुप मे उठाना पड़ सकता है।

इसी तरह नाराजगी जाहिर करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व नगर पालिका उपाध्याय दामोदर सिंह छत्री ने भी अपने नगर वासियो की सेवा करने के लिए निर्दलीय चुनाव मैदान मे अध्यक्ष पद के नामांकन दाखिल क़र दिये है,

इस चुनाव में भाजपा की भी राह आसन होते नहीं दिख रही है भाजपा ने लव कुश को अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी चुनाव है , जिसकी खिलाफत मे भाजपा के वरिष्ठ नेता कर रहे है जिसके चलते हैं नगर पालिका उपाध्यक्ष कन्हैया यादव ने आज निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया है कन्हैया यादव की कहना है कि हमें जनता का आशीर्वाद प्राप्त है और जनता के कहने पर ही मैं चुनाव लड़ रहा हूं,

नगर पालिका उपाध्यक्ष कन्हैया यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। वहीं, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रमेश सूर्य ने भी पार्टी टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय के तौर पर अध्यक्ष पद के लिए पर्चा दाखिल किया है। तो दामोदर सिंह ने भी अध्यक्ष पद के लिए दावा किया है।
इन निर्दलीय प्रत्याशियों की बढ़ती संख्या ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चिंता बढ़ा दी है। दोनों दलों के नेता अंदरूनी असंतोष को संभालने में जुटे हैं। इस बार का चुनाव को त्रिकोणीय मुकाबले के रूप मे देखा जा रहा है , जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
