डेस्क खबरबिलासपुर

अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग की घोर लापरवाही उजागर..!
लगातार घट रही बाघों की तादाद.. वन अफसरों को नही है कोई चिंता .???
मामले को दबाने की कोशिश मे अफसरों ने किये मोबाइल स्वीच आफ..?



डेस्क खबर बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिज़र्व में एक बाघ की मौत की घटना ने वन विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है। लमनी रेंज के पास दो से तीन दिन पुराना बाघ का शव मिला है। हालांकि, वन विभाग को इसकी जानकारी शुक्रवार को मिली। बाघ की मौत के कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो सके हैं। बाघ सहित अन्य जंगली जीवो की सुरक्षा का दावा भरने वन्य विभाग के अफसरों को बाघिन की मौत की मौत की खबर मिलते ही उनके हाथ पांव फूलने लगे। मामले को दबाने के लिए अफसरों ने अपने फोन तक बंद कर दिये। अचानक टाइगर रिजर्व मे बाघों का संरक्षण मे वन विभाग नाकाम साबित हो रहा है। लेकिन उसके बाद भी इन अफसरों पर कार्यवाही नही होने से लगातार बड़ी तादाद मे वन्य जीवो की मौत हो रही है।

छत्तीसगढ़ में बाघों की स्थिति चिंताजनक

पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त है, लेकिन छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या लगातार घट रही है। 2014 में जहां राज्य में 46 बाघ थे, वहीं 2018 में यह संख्या घटकर मात्र 19 रह गई। हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के तीन टाइगर रिज़र्व—उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती में अब केवल सात बाघ ही बचे हैं।

वन विभाग की नाकामी

पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में बाघों के शिकार और उनकी मौत के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, वन विभाग ने कई बार शिकारियों को पकड़ा है, लेकिन बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया। विस्थापित इलाकों को भी बाघों के अनुकूल विकसित करने में विभाग नाकाम रहा है।

मध्यप्रदेश से बाघ लाने की योजना

राज्य सरकार अब मध्यप्रदेश से तीन बाघों को लाने की योजना बना रही है ताकि बाघों की आबादी को बढ़ाया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वन विभाग ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो छत्तीसगढ़ से बाघ पूरी तरह खत्म हो सकते हैं। वन्यजीव संरक्षण के लिए सरकार और वन विभाग को तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

बाघ से संघर्ष मे हुई बाघिन की मौत

पूरे मामले मे प्रबंधन लीपा पोती मे जुटा हुआ है , , ,आरोप है की अफसरों की लापरवाही और निष्क्रियता के चलते बाघिन की मौत की खबर विभाग को दो दिन बाद मिली। वही पूरे मामले मे लापरवाह वन्य अधिकारी इस मौत को बाघ के साथ हुए संघर्ष का नतीजा बताने के प्रयास मे जुट कर अपनी लापरवाही छुपाने मे लगे है। फिलहाल वन विभाग पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है जिसके बाद ही बाघिन की मौत का असली कारण स्पष्ट हो पायेगा की आखिर बाघिन एकेटि की मौत कैसे हुई..??

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