सत्ता-संगठन समन्वय: नई कवायद या पुराना खेल? आखिर इन तस्वीरों के क्या है मायने .।

डेस्क खबर / रायपुर भाजपा कार्यालय में हाल ही में एक ऐतिहासिक बैठक का आयोजन हुआ, जहां पूरी कैबिनेट संगठन के सामने बैठी। इसे देखकर लगता है कि संगठन ने मंत्रियों की क्लास लेने का बीड़ा उठाया है। सत्ता और संगठन के बीच तालमेल बिठाने के लिए सीधी बातचीत का फार्मूला अपनाया गया। मंत्रियों को सामने बैठाकर एक-दूसरे की बातों को ध्यान से सुनना और समझना इस नए ड्रामे का हिस्सा था।
बैठक का माहौल कुछ ऐसा था मानो संगठन ने मंत्रियों को लाइन पर लाने का ठान लिया हो। हर मंत्री ने अपने विभाग की उपलब्धियों के कसीदे पढ़े, जबकि संगठन ने जमीनी स्तर से प्राप्त शिकायतों का पुलिंदा खोल दिया।
सुनने में आ रहा है कि कार्यकर्ता सहायता अभियान की सफलता के बाद अब संगठन सहायता अभियान की बारी है। शायद संगठन को अब महसूस हो गया है कि सिर्फ मंत्रियों की वाहवाही से काम नहीं चलेगा, निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को भी संतुष्ट करना होगा।
इस बैठक ने सत्ता-संगठन के बीच के तालमेल को सुधारने की दिशा में एक नई पहल का संकेत दिया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह नई कवायद वास्तव में कुछ नया लाएगी, या फिर वही पुराना खेल दोहराया जाएगा? सत्ता और संगठन के बीच की इस खींचतान में आम जनता को क्या हासिल होगा, यह तो समय ही बताएगा।
