आईपीएस सदानंद वसंत दाते बनें एनआईए के डीजी, घरों में अखबार बांट पढ़ाई करने वाले दाते दो बार हो चुके हैं राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित
नेशनल डेस्क।आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते को नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) का नया डायरेक्टर जनरल बनाया गया है। वह 1991 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफसर है। घरों में अखबार बांट कर बेहद गरीबी में पढ़ाई करने वाले आईपीएस सदानंद वसंत दाते दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। मुंबई हमले में दाते ने वीरता पूर्वक आतंकियों का सामना किया था। जिसके चलते राष्ट्रपति ने उन्हें वीरता पुरूस्कार से सम्मानित किया था।
एनआईए के नए डीजी आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते पुणे के रहने वाले हैं। वे मुंबई क्राइम ब्रांच के चीफ, विरार पुलिस आयुक्त , आर्थिक अपराध शाखा में रह चुके हैं। उन्हें महात्मा गांधी गौरव पुरुस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
आईपीएस सदानंद दाते का जन्म 14 दिसंबर 1966 को हुआ है। उन्होंने 15 सितम्बर 1991 को आईपीएस की सर्विस ज्वॉइन की। सदानंद वसंत दाते महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले है। बचपन से उन्होंने अपने घर में भयंकर गरीबी देखी। सदानंद दाते का बचपन संघर्ष पूर्ण रहा। उनके घर की स्थिति अच्छी नहीं थी। 10 बाई 10 के कमरे में उनका पूरा परिवार रहता था। जब सदानंद दाते आठवीं कक्षा में थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनकी मां ने कष्ट कर उन्हें पढ़ाया। मां को सहयोग करने के लिए सदानंद दाते पढ़ाई के अलावा घर घर जाकर अखबार बांटने का काम करते थे फिर स्कूल जाते थे।
कई सालों तक अखबार बांटते हुए सदानंद दाते ने अपनी स्कूलिंग पुरी की। पुणे के शिवाजी नगर पुलिस लाइन में पुलिस आरक्षकों के घर भी अखबार बांटने सदानंद दाते जाते थे। यही से सदानंद वसंत दाते के मन में वर्दी वाली नौकरी करने की इच्छा जागी। सदानंद दाते ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए चपरासी से लेकर पूजा करने का काम साथ ही लाइब्रेरी के केयरटेकर के रूप में भी काम किया। सदानंद दाते ने एमकाम करने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की और आईपीएस बने। दाते ने पुणे विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। सदानंद दाते ने अपनी सर्विस के दौरान हंफ्री फेलोशिप कार्यक्रम के तहत 2005–2006 मिनेसोटा विश्वविद्यालय में भाग लिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में व्हाइट कॉलर और संगठित तथा आर्थिक अपराधों को नियंत्रित करने के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं (व्हाइट कॉलर क्रिमिनल) का अध्ययन किया। आर्थिक अपराधों पर पुणे विद्यापीठ से पीएचडी किया।
आईपीएस सदानंद वसंत दाते की पहली पोस्टिंग 1993 में रत्नागिरी के चिपलून में हुई। भंडारा में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए दाते की निष्पक्षता पूर्वक पुलिस आरक्षक भर्ती करवाने के लिए जमकर तारीफ हुई। मुम्बई में पोस्टिंग के दौरान धारावी में दो मुस्लिम गुटों के दंगे के बीच शहर को सुरक्षित रखने में दाते का महत्वपूर्ण योगदान है। 6 दिसंबर 1992 को अमरावती में पोस्टिंग के दौरान बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कर्फ्यू में दंगा करने वालो को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया। भंडारा में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए चार नक्सलियों का एनकाउंटर किया और दो नक्सलियों को गिरफ्तार किया।
सदानंद वसंत दाते मीरा वसई विरार पुलिस कमिश्नरेट के पहले पुलिस कमिश्नर रहे। वसंत दाते मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच के चीफ एवं ला एंड ऑर्डर के जॉइंट कमिश्नर रहे हैं। मुंबई एटीएस के जन्मदाता भी सदानंद वसंत दाते हैं। 2006 से 2008 तक आर्थिक अपराध शाखा में असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं। 2009 में वे महात्मा गांधी शांतता गौरव पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। सन 2005 में सदानंद वसंत दाते को पहली बार राष्ट्रपति पुलिस पदक प्राप्त हुआ। 2008 के मुंबई हमले में सदानंद वसंत दाते ने आतंकियों का कामा अस्पताल के पास जमकर सामना किया था। आतंकी अजमल आमिर कसाब को पकड़ने के लिए एएसआई तुकाराम ओंबले शहीद हो गए और सदानंद वसंत दाते गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें दूसरी बार इस बहादुरी के लिए 2009 में राष्ट्रपति ने वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। 2009 में ही महात्मा गांधी शांतता गौरव पुरुस्कार से भी दाते को सम्मानित किया जा चुका है।
सदानंद वसंत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो में डीआइजी, आईजी और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में आइजी (ऑप्स) के रूप में भी काम किया है।