डंका राम डेस्क /
देश को पहली एआई शिक्षिका मिल गई है… केरल के तिरुवनंतपुरम के एक स्कूल में आईरिस नामक एक रोबोट शिक्षक पेश किया गया है… इसे ‘मेकरलैब्स एडुटेक’कंपनी की मदद से बनाया गया है… कंपनी के मुताबिक, आईरिस देश की पहली जेनरेटिव एआई टीचर है… राज्य के केटीसीटी स्कूल में एआई शिक्षिका साड़ी में नजर आई और बच्चों से हाथ मिलाया…
दरअसल आईरिस भारत सरकार की योजना एटीएल (अटल टिंकरिंग लैब) का हिस्सा है… इसका उद्देश्य स्कूलों में बच्चों के बीच मनोरंजक गतिविधियों को बढ़ाना है…. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह तीन प्रमुख भाषाओं में बातचीत कर सकती है और यह विद्यार्थियों के कठिन से कठिन सवालों के जवाब भी बेहद आसानी से दे सकती है… आईरिस का नॉलेज बेस चैटजीपीटी जैसे प्रोग्रामिंग से बनाया गया है… यह अन्य ऑटोमेटिक शिक्षण उपकरणों से ज्यादा व्यापक है…इसमें एक इंटेल प्रोसेसर और एक को-प्रोसेसर है, जो कई तरह के कमांड को संभालेगा।…
*जानिए क्या है AI*
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्व को 1970 के दशक में पहचान मिली… जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में पचवीं जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी… इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई थी…इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया… ब्रिटेन ने इसके लिये ‘एल्वी’ नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया… यूरोपीय संघ के देशों ने भी ‘एस्प्रिट’ नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी… इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों, जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की….आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत में शैशवावस्था में है, और देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जानें की संभावना पर विचार चल रहा है…. देश के विकास में इसकी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है…सरकार भी चाहती है कि सुशासन के लिहाज़ से देश में जहां संभव हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए… सरकार ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये एक मॉडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है… उद्योग जगत ने सरकार से इसके लिये कुछ बिंदुओं पर फोकस करने को कहा है:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये देश में एक अथॉरिटी बने जो इसके नियम-कायदे तय करे और पूरे क्षेत्र की निगरानी करे…. सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ प्राथमिकता के आधार पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है…. ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि आदि इसके लिये उपयुक्त क्षेत्र हो सकते हैं…आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विगत कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा एक ज्वलंत विषय है…. वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं… आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है… विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है…. बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है, वहीं इसने कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए समाधान सामने आते रहते हैं… जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक फायदे गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वे मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं… ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यकता होगी
रोबोट फिल्म कुछ इसी थीम पर बनाई गई थी हालांकि मनोरंजन के साथ ही फिल्म में इस बात के भी संकेत दिए कि अगर उसे सही तरीके से नियंत्रित नही किया गया तो उसके नुकसान किस तरह के हो सकते है…दूसरी तरफ कुछ मीडिया हाउस के साथ ही युटुब चैनल में AI Anchor का इस्तेमाल भी किया जा रहा है…जो मीडिया हाउस के लिए खर्चों में कटौती करने का एक अच्छा साधन बन गया है… बहरहाल देखना होगा कि देश के लिए AI कितना फायदेमंद हो सकता है….