छत्तीसगढ़बिलासपुर

“पुलिस मेला रूबरू” क्या पुलिस खुद है रूबरू ?
मेले से ज्यादा जमीनी स्तर में काम करने की जरूरत !
जनता से ज्यादा विभाग को जागरूक करने की जरूरत ?

  • बिलासपुर के पुलिस ग्राउण्ड में रंगारंग कार्यक्रम के तहत पुलिस विभाग का एक दिवसीय रूबरू और यातायात जागरूक सप्ताह की भव्य शुरवात हो गई है । पुलिस इस मेले के द्वारा लोगो को जागरूक करने का काम करेगी,
  • लेकिन बिलासपुर की आम लोगो की राय है कि पुलिस को मेले की जगह जमीनी स्तर में काम करने की जरूरत है ।

बिलासपुर।सुबह से शाम तक बिलासपुर की सड़कों चौक चौराहों पर पुलिस के जवानों का झुंड वाहन चालकों को दौड़ा दौड़ा कर नियमो की अनदेखी करने पर जनता से जुर्माना वसूलते हर किसी को दिख ही जाता है । लेकिन ट्राफिक व्यवस्था के नियमो को आम जनता को समझाते हुए शायद ही किसी जवान को देखा गया होगा । या तक कि कुछ दूरी पर क्या हो रहा है जुर्माना वसूल कर जवानों को इससे कोई फर्क नही पड़ता है । ऐसे में क्या बिलासपुर के ट्राफिक सिस्टम में कोई सुधार हो सकता है।

जनता हर रोज घण्टो जाम में फंसने की आदि हो गई है मुख्य बाजारों से लेकर शहर की मुख्य सड़कों पर हररोज जाम की स्तिथि रहती है । लेकिन जुर्माना वसूली में व्यस्त ट्राफिक के जवानों के झुंड में से जाम को खुलवाने में या जाम को बहाल करने में हकीकत में कोई दिलचस्पी नजर नही आती है ।
पब्लिक की रॉय में जुर्माना से टारगेट पूरा जरूर होता है लेकिन जवानों का भी अपना रोज का टार्गेट भी पूरा होता है। सिर्फ जुर्माना वसूलने और मेले के आयोजन से कभी भी बिलासपुर की ट्रैफिक व्यवस्था में किसी प्रकार से कोइ सुधार की गुंजाइश नही बन सकती है । एक सप्ताह मेले के आयोजन की जगह यदि हर रोज सड़को में जुर्माना वसूलने वाले सिपाही यदि लोगो को नियमो का पालन करने के टिप्स देकर यदि जागरूक करे तो शायद यह सप्ताह बनाने की जरूरत नही पड़ती ।

कड़वा सच यही है कि ट्रेफिक को दुरुस्त करने में कभी यातयात विभाग सजग नही दिखाई पड़ता है उनको तो सिर्फ सड़को पर इसलिए खड़ा किया जाता है कि वे टारगेट पूरा करने के लिए अधिक से अधिक जुर्माना वसूल कर सके !
शायद मेले पर हजारों लाखो रु खर्च न कर यदि सड़को पर तैनात जवानो को जागरूक किया जाता है और जुर्माने से ज्यादा जनता को नियमो से अवगत करवाने में ध्यान दे तो ट्रैफिक व्यवस्था सुधर सकती थी और लोगो मे नियमो के प्रति ज्यादा जागरूकता आती ! लेकिन पुलिस के जवान को सड़कों में इंतजार रहता है नियमो के टूटने और जुर्माना वसूलने का !

हजारों लाखों रु खर्च कर एक सप्ताह तक यातायात जागरूकता अभियान चलाया जाता है लेकिन अभियान के एक सप्ताह बाद ही शहर की ट्रफिक व्यवस्था की हकीकत देखकर पता चल ही जाता है की इस मेले का आयोजन कर सिर्फ औपचारिकता निभा लेने से आयोजको का दायित्व पूरा हो जाता है।
सिर्फ मेले के आयोजन से व्यवस्था में सुधार नही हो सकता है जरूरत है लोगो को जागरूक करने की वजाय जवानो को जागरूक करने की क्योकि ट्रफिक व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी ट्रफिक पुलिस की होती है बशर्ते यातायात विभाग के जवान पूरी ईमानदारी से ध्यान दे और लोगो से जुर्माना वसूलने की वजाय नियमो के बारे में जागरूक करे !
लेकिन एक सच यह भी है इसमें जनता को भी पुलिस का साथ देना होगा क्योंकि ट्रफिक के कारण उनकी रफ्तार में भी ब्रेक लग जाता है और घण्टो जाम में फंसना पड़ता है । पुलिस चाहे तो लाख नियम कायदे व्यवस्था बना दे लेकिन यदि स्वयं पब्लिक जागरूक नही होगी तो हर साल इसी तरह के मेले का आयोजन होता रहेगा और पुलिस जुर्माना वसूल कर अपना टार्गेट पूरा करती रहेगी और लोग घण्टो जाम में फंसते रहेंगे !

error: Content is protected !!