विधायक के जाति प्रमाण पत्र मामले में सुनवाई टली, क्षेत्राधिकार पर उठी आपत्ति से कलेक्ट्रेट में बढ़ी हलचल.!


डेस्क खबर ../ बलरामपुर में विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के जाति प्रमाण पत्र सत्यापन प्रकरण की सुनवाई जिला कलेक्ट्रेट परिसर में हुई, जहां पूरे दिन हलचल और तनावपूर्ण माहौल बना रहा। निर्धारित सुनवाई के दौरान विधायक की ओर से अधिवक्ता उदय राज सिन्हा उपस्थित हुए और समिति के समक्ष अपना पक्ष विस्तार से रखा। इसी दौरान उन्होंने समिति के क्षेत्राधिकार पर प्रारंभिक आपत्ति भी दर्ज की, जिसके चलते आज की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी और अगली सुनवाई 11 दिसंबर के लिए निर्धारित कर दी गई।
अधिवक्ता सिन्हा ने अपने तर्क में कहा कि विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते का परिवार तीन पीढ़ियों से अविभाजित सरगुजा में निवासरत है। उनकी संपूर्ण शिक्षा भी इसी क्षेत्र में हुई है। उन्होंने बताया कि विधायक इससे पहले सरपंच, जनपद सदस्य और जनपद उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण जनप्रतिनिधि पदों पर निर्वाचित रह चुकी हैं, जिससे उनकी सामाजिक और क्षेत्रीय पहचान निर्विवाद रूप से स्थापित होती है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विधायक का जाति प्रमाण पत्र वर्ष 2003 में सक्षम अधिकारी द्वारा विधिवत जांच और सत्यापन प्रक्रिया के बाद जारी किया गया था। “बीस वर्षों बाद इस तरह की शिकायत उठाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित प्रतीत होता है,” अधिवक्ता सिन्हा ने कहा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि 2013 के पूर्व जारी जाति प्रमाण पत्र में पिता और पति दोनों के नाम का उल्लेख आवश्यक रूप से किया जाता था, इसलिए दस्तावेज पूरी तरह वैध है। सुनवाई के दौरान समिति के क्षेत्राधिकार पर उठाई गई आपत्ति को शिकायतकर्ता पक्ष को सौंप दिया गया है, ताकि वे इस पर अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें। इसी आधार पर आज की कार्यवाही स्थगित की गई।

इधर कलेक्ट्रेट परिसर में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। समाजजन, कांग्रेस पदाधिकारी और आवेदक पक्ष बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। सुनवाई टलने पर कुछ देर के लिए माहौल गरमा गया और कुछ लोग सड़क पर उतरने की तैयारी में दिखे, लेकिन लिखित आदेश जारी होने के बाद स्थिति शांत हो गई। आवेदक पक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया कि जनता को गुमराह किया जा रहा है और चेतावनी दी कि यदि अगली सुनवाई में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी, तो वे उग्र आंदोलन की ओर बढ़ेंगे।

आवेदकों के कुछ आरोप फिर से निराधार साबित हुए। रिकॉर्ड के आधार पर यह दावा भी खारिज हो गया कि विधायक नोटिस के बाद भी उपस्थित नहीं हो रहीं। इसके अलावा यह आरोप भी गलत पाया गया कि जाति प्रमाण पत्र “स्वयं जारी कराया गया”, क्योंकि संबंधित प्रमाण पत्र अनुविभागीय अधिकारी पादप नगर की डेरा पंजी में विधिवत दर्ज है। कुल मिलाकर, पूरे दिन बलरामपुर का माहौल ठंड के मौसम के बावजूद गर्म और राजनीतिक हलचल से भरा रहा।