बिलासपुर

सवाल तो पूछेंगे लोग… तोखन साहू को ही क्यों बनाया गया मंत्री..? समझिए राजनीतिक समीकरण को..पढ़े खबर….

डंका राम/छत्तीसगढ़/बिलासपुर….

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनाव में धमाकेदार प्रदर्शन किया है। नतीजतन, इस राज्य में बीजेपी ने केवल कोरबा लोकसभा सीट को छोड़कर 11 में से 10 सीटों पर कब्जा किया है।
इस चमकती हुई जीत के बाद, बीजेपी ने अपनी शक्ति को निरंतर बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ को नए नेतृत्व के साथ विकसित करने का वादा किया है। इसके साथ ही, राज्य के प्रमुख मंत्री तोखन साहू भी केंद्रीय मंत्री मंडल में शामिल हो गए हैं।

तोखन साहू ने अपने कार्यकाल के शुरुआती दिनों से ही जनता के बीच अपनी जगह बनाई है, और उनके संवेदनशील नेतृत्व ने उन्हें पार्टी के अध्यक्षता में उच्च स्थान दिलाया है। अब उन्हें केंद्रीय मंत्री के रूप में नेतृत्व करने का मौका मिला है, जिससे राज्य के विकास में और भी गति आ सकती है।
बिलासपुर से सांसद तोखन साहू मंत्री बन गए, शपथ भी हो गई। लेकिन हर किसी के जहन में यह सवाल जरूर है कि तोखन साहू को मंत्री क्यों बनाया गया? जबकि प्रदेश से सीनियर नेता भी सांसद बने हैं। इसके जवाब के लिए समीकरण समझना होगा। खबरों के अनुसार छत्तीसगढ़ की लगभग 1 करोड़ 35 लाख ओबीसी आबादी में साहू समाज का दबदबा सबसे ज्यादा माना जाता है। इसके बाद यादव समाज जो कि करीब 18 प्रतिशत होने का दावा करते हैं। वहीं, कुर्मी समाज की आबादी 6-7 फीसदी है। विधानसभा और लोकसभा को लेकर यह माना जाता है कि साहू समाज ने पिछले 2 दशकों में बीजेपी को ज्यादा समर्थन दिया है। साथ ही परंपरागत रूप से भाजपा को वोट दिया है। इसके पीछे की वजह यही मानी गई है कि भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में समाज से अधिक उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, ज्यादा से ज्यादा मौका देने की कोशिश की।

सियासी गलियारों में चर्चा यही है कि साहू समाज को साधने के लिए ही तोखन साहू को मंत्री बनाया गया है। बात 2014 की हो तो साहू समाज से कुल 3 सांसद रहे हैं। जिसमें से बीजेपी से 2 और कांग्रेस से एक सांसद थे। 2019 में यह संख्या घटकर 2 रह गई। भाजपा से जुड़े दोनों सांसद बिलासपुर और महासमुंद लोकसभा सीटों से जीतकर आए थे। अगर बात 2018 के विधानसभा चुनाव की करें तो दोनों पार्टियों ने 22 साहू कैंडिडेट्स को टिकट दिया था। हालांकि बताया जा रहा है कि इस बार साहू समाज ने भाजपा से 2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारना की मांग की, लेकिन पार्टी ने इनकार कर दिया। राजनीतिक विशेषज्ञ ने बताया कि बिलासपुर से केवल एक तोखन साहू को मैदान में उतारने से भाजपा के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया, हालांकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा यही है… पी एम की सभा के बाद वह नाराजगी दूर हो गई…. और चुनाव जीतने के बाद मंत्री बनाए जानें के वह रहा सहा गुस्सा भी शांत हो गया है… बहरहाल प्रदेश में कई सीनियर सांसदों के साथ ही रायपुर दक्षिण से ऐतिहासिक और सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले बृजमोहन अग्रवाल को दरकिनार करना किसी के गले नही उतर रहा है… और अब दबी जुबान से यही कहा जा रहा है कि वरिष्ठों को पार्टी अब मार्गदर्शक के रूप में रखने का विचार कर रही है यही वजह है इस नए फार्मूले पर बीजेपी ने कदम ताल शुरू कर दिया है,फायदा होगा या नुकसान इसके लिए तो थोड़ा इंतजार ही करना होगा…

✍️✍️✍️✍️✍️
विनोद कुशवाहा

error: Content is protected !!