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आरक्षक ही नही पूरा थाना बोलता है पैसा -पैसा ..! अब सब इंस्पेक्टर में लगे गम्भीर आरोप ..थाना प्रभारी की भूमिका संदेह के घेरे में ?जिम्मेदारों पर कब कार्यवाही करेगे जिम्मेदार .?

बिलासपुर।लगातार पुलिस के खिलाफ नये नए खुलासे से बिलासपुर पुलिस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है । बिल्हा थाना क्षेत्र में पुलिस प्रताड़ना से तंग होकर एक दलित युवक के आत्महत्या मामले को लेकर तनाव के हालात बने हुए है । मृतक युवक के समाज के समर्थन में आप पार्टी भी पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गई है ।

पुलिस थाने से लेकर अस्पतल सड़को में पुलिस प्रशासन के खिलाफ मुर्दाबाद के शोर गूंज रहे है । बिल्हा पुलिस के कारण हो रही फजीहत के बाद एसएसपी ने आरक्षक रूपलाल को सस्पेंड कर लोगों का गुस्सा शांत करने की नाकाम कोशिश भी की लेकिन युवक की पुलिस के चलते हुई मौत का मामला लगातार गर्माते जा रहा है ।
अभी इस मामले में पुलिस को राहत भी नही मिली और फिर एक पीड़ित ने बिल्हा थाने के ऊपर सनसनीखेज आरोप लगाकर हड़कम्प मचा दिया है ।
पीड़ित का आरोप है कि उसकी पत्नी के नाम पर दर्ज जमीन को फर्जी मुख्तियार नामा बनाकर फर्जी तरीके से बेच दिया जिसकी शिकायत बिल्हा थाने में भी की गई है । इतना ही नही पीड़ित की शिकायत के बाद पुलिस ने मामला भी दर्ज कर लिया है । लेकिन अभी तक आरोपीयो के खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रही है । भगतदास बघेल का आरोप है कि बिल्हा थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर राजेश धर दीवान द्वारा पूरे प्रकरण में 30 हजार रु रिश्वत मांगने का गम्भीर आरोप लगाकर एक फिर खाकी को सवालो के घेरे में खड़ा कर दिया है । खुद की जमीन फर्जी तरीके से बेचे जाने का मामला दर्ज होने के बाद भी यह बुजुर्ग इंसाफ के लिए बिलासपुर कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर थाने के कई चक्कर काट चुका है पर इंसाफ देने के लिए पुलिस द्धारा पैसा मांगने के कारण न्याय नही मिल पा रहा है ।

रेलवे में नौकरी के नाम पर बेराजगार युवकों से लाखों रु ठगने ले शातिर ठग को छोड़ने का मामला हो या फिर दूसरे जिले से लाये गए आरोपी की जानकारी अपने आला अधिकारी को भी नही देने का मामला या फिर एसएसपी पारुल माथुर के तबादला आदेश जारी के होने के बाद भी सस्पेंड आरक्षक रूपलाल चंद्रा को गम्भीर आरोप और पुलिस कप्तान के आदेश की अवेहलना करते हुए थाने से रिलीव नही करने का मामला हो , बिल्हा थाने में चल रहे अवैध गांजा, शराब , सट्टा, कबाड़ जैसे गैरकानूनी कार्य पुलिस की सरक्षंण में चलने का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी और बिलासपुर में पदस्थ विभाग के उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई शिकायत में बिल्हा थाना प्रभारी अंजना केरकेट्टा की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई । शिकायत में तो बिल्हा थाना प्रभारी के एजेंट के रूप में आरक्षकों के कार्य करने के आरोप भी लगे ।

दो दिन के अंदर बिल्हा थाने के खिलाफ दो गम्भीर आरोप के बाद भी सिर्फ आरक्षक को सस्पेंड कर देने के बाद से मामले में बिल्हा टीआई की भूमिका की जांच नही होने से कई सवाल खड़े हो रहे है । बिल्हा थाना के आरक्षक से लेकर सब इंस्पेक्टर के खिलाफ केस के एवज में पैसा मांगने के आरोप लग रहे हो ये थाना प्रभारी को पता नही होंना कई सवाल खड़े कर रहा है .!आखिर थाना प्रभारी की ज़िमेदारी कौन तय करेगा ये भी बड़ा सवाल है ।

पुलिस प्रताड़ना के शिकार होकर दलित युवक की आत्महत्या के बाद से चन्द बदनाम पुलिसकर्मियों के चलते बाजार में भी यही चर्चा चल रही है क्या पुलिस का एकमात्र एजेंडा और उद्देश्य बनकर रह गई है वसूली ?
पुलिस के नए नए कारनामे सामने आने के कारण आम आदमी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है। ऐसे में चाहिए SP स्तर के उच्च अधिकारी दुर्भावना से, पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम कर रहे ऐसे लालची पुलिसकर्मियों की खिलाफ सख्त कार्यवाही करे ताकि जनता का विश्वाश कांनून पर कायम रह सके । लेकिन यह भी कड़वा सच है कि पुलिस विभाग अपनी विभागीय गंदगी साफ करने को तैयार नहीं है जिसके कारण खाकी को बार बार कुछ चर्चित आरक्षकों और पुलिसकर्मियों के कारण शर्मशार होना पड़ रहा है ।

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