
डेस्क खबर ..बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक में पदस्थ रहे खाद्य निरीक्षक श्याम वस्त्रकार के खिलाफ रिश्वतखोरी और मनमानी के गंभीर आरोप लगातार सामने आ रहे हैं। ताजा खुलासा यह है कि उनके कार्यकाल के दौरान शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालकों से हर महीने एक तय राशि की अवैध वसूली की जाती थी। दुकानदारों के मुताबिक, यह वसूली ₹1100 से ₹1500 प्रतिमाह तक की जाती थी, जिसमें दुकान के भौतिक सत्यापन, निलंबन की धमकी और आबंटन जैसे बहाने शामिल थे।

इस संबंध में 10 जनवरी 2024 को तखतपुर विकासखंड के 45 दुकानदारों ने शासकीय उचित मूल्य दुकान संचालक विक्रेता कल्याण संघ के नेतृत्व में तखतपुर विधायक को लिखित शिकायत दी थी। शिकायत में कहा गया कि श्याम वस्त्रकार की प्रताड़ना से दुकानदार मानसिक रूप से परेशान थे और उनसे जबरन पैसे वसूले जा रहे थे।

विक्रेता कल्याण संघ के अध्यक्षसे मिली जानकारी के अनुसार दुकानदारों की ओर से बार-बार शिकायतें मिल रही थीं, इसलिए संघ ने विधायक और तत्कालीन कलेक्टर से कार्रवाई की मांग की थी। बावजूद इसके, किसी तरह की ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है। इससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुरानी गंभीर शिकायतों को जानबूझकर दबा दिया गया? जबकि यह गंभीर मामला गरीबों के निवाले के नाम पर वसूली का मामला था ..पुरानी गंभीर शिकायतों पर फूड इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने से अधिकारी सवालों के घेरे में है .?




कुछ समय पूर्व गनियारी के पूर्व दुकानदार भीम सूर्यवंशी ने भी श्याम वस्त्रकार पर ऑनलाइन रिश्वत लेने और दुकान संचालन में बाधा डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। इस पर जवाब लेने के लिए श्याम वस्त्रकार फूड इंस्पेक्टर से फोन पर जानकारी लेनी चाही लेकिन उन्होंने फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा इसलिए उनका पक्ष पता नहीं चल सका ।
करेक्टर से की है शिकायत पर जांच निर्देश पर फिलहाल खाद्य नियंत्रक अनुराग भदौरिया ने इस मामले की निष्पक्षता से जांच की बात जरूर कही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है, जिससे दुकानदारों के बीच असंतोष गहराता जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल है है कि जिस प्रकार सरकारी राशन दुकानों से हर महीने एक निश्चित रकम वसूलने के आरोप लगे है उससे से तो यह लगता है कि यह मामला हर महीने लाखों करोड़ों रु से जुड़ा हुआ कोई जिले में 600 से ज्यादा दुकानों खाद्य विभाग की निगरानी में संचालित की जा रही है और ऐसे में इतनी बड़ी रकम सिर्फ एक ही तक पहुंचे इस पर यकीन कर पाना मुश्किल लगता है ..?? सूत्रों की माने तो राशन दुकानों के संचालकों से हर महीने वसूली के आरोपों की यदि निष्पक्षता से जांच की जाए तो एक बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है और गरीबों को दिए जाने वाले सरकारी अनाज के नाम पर करोड़ों का गोलमाल करने वाले कई बड़े घोटालेबाज बेनकाब हो सकते है ..!
शहरी क्षेत्रों में कैसे होती है दुकान संचालकों से वसूली पुख्ता प्रमाण के साथ अगले अंक में एक और चौंकाने वाला खुलासा ..!

