बिलासपुर

IPc की वयाख्या अपनी मर्जी के अनुसार करता है थाना तारबाहर ?
जब थाने में चलता हो अपना अलग ही कानून…तब कैसे मिले किसी पीड़ित को न्याय..?

बिलासपुर।बिलासपुर थाना तारबाहर में वर्तमान थाना प्रभारी अनुसार फर्जी,बनावटी कूट रचित एवँम नगर पालिका निगम की फर्जी सील हस्ताक्षर युक्त नक्शा बनांकर उक्त फर्जी,बनावटी,कूट रचित नक्शे के आधार पर फ्लेट बेचने पर राजेश सेठ, रजनी सेठ के खिलाफ अपराध नही बनता है ! तमाम पुख्ता साक्ष्य होने के बाद भी आरोपियों को इस तरह ढील देने का रवैया थाना प्रभारी की काबलियत और कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है ? ऐसे में सवाल उठता है क्या थाना प्रभारी के अनुसार लिखनी पड़ेगी IPC ?
आरोपी राजेश सेठ और रजनी सेठ ने शासकीय जमीन के फर्जी कागजो के आधार पर बैंक आफ बड़ोदा में गिरवी रख कर करोड़ो का कर्ज लिया था । उसी बंधक जमीन को आरोपियों ने फिर से कई आमलोगों को बेच दिया । ऐसे में सवाल उठाना तो लाजिमी है कि पहले से बैंक आफ बड़ोदा में गिरवी सम्पति को पुनः बेचना भी अपराध नही है ! क्या तारबाहर थाना प्रभारी साहब ?
:सरकारी भूमि को अपनी बताकर बेचना भी अपराध नही है क्या साहब ?
;मात्र 50 रु के स्टाम्प पर रजनी सेठ ने अपने ही पति राजेश सेठ को बेच दी 1000 वर्गफीट जमीन, खसरा नम्बर 903 की जमीन भी अपराध नही है क्या साहब ?
:जब पूर्व में समान प्रकरण में समान बिल्डिंग में एक समान मामले में राजेश सेठ,रजनी सेठ के खिलाफ इसी तारबाहर थाने में 2 FIR ओर अजाक में एक FIR दर्ज हो चुकी है तो फिर अब उसी मामले की एक अन्य पीड़िता के साथ हुयी ठगी पर अपराध क्यो नही बनता है साहब !
कल ही जिले की नई पुलिस कप्तान ने भी निर्देश दिया है की जिले की पुलिस को बेहतर किया जायेगा और महिला सबंधित अपराध पर तत्काल कार्यवाही कर महिलाओं को न्याय दिलवाया जाएगा । बाउजूद उसके तारबाहर थाना क्यो आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने में हिचकिचा रहा है ये समझ से परे है ।
अभी कई घटनाओं में देखा गया है कि थानों में जनता के बढ़ते आक्रोश और मीडिया के हस्ताक्षेप के बाद ही FIR दर्ज करने का थानों के ट्रेन्ड बन गया है ?
इससे पहले भी शातिर बंटी बबली को बचाने के आरोप तत्कालीन तारबाहर थान प्रभारी और अक्सर विवादों के रह कर खाकी को बदनाम करने वाले प्रधान आरक्षक अरविंद सिंग जिन्हें अभी हाल में ही एक बार फिर लाइन अटैच किया गया है उसी प्रधान आरक्षक अरविंद सिंह से भी इनकी सांठगांठ की शिकायत प्राथी ने पुलिस के उच्चाधिकारियों से की थी । जिसके बाद पुलिस ने आरोपी राजेश सेठ को जेल भेज था ।
वही इस मामले में थाना प्रभारी क्यो बंटी-बबली की जोड़ी को बचाने के लिए प्रार्थी को थानों से लेकर कोर्ट के चक्कर लगवाने क्यो मजबूर कर रहे है । उससे कई सवाल अपने आप खड़े होकर किसी सेटिंग को साफ साफ इंगित कर रहे है ?
अन्य और पीड़ितों की तरह शातिर :राजेश सेठ, रजनी सेठ के द्वारा ठगे गए इन पीड़ितों को भी इंतजार है कि पुलिस के उच्चाधिकारी खुद संज्ञान ले कर पीड़ित को न्याय दिलाये ?
या पूर्व की तरह थाना तारबाहर में किसी ईमानदार थाना प्रभारी की पोस्टिंग के बाद ही जालसाज बंटी-बबली के खिलाफ FIR दर्ज होकर पीड़ितों को इंसाफ मिल सकेगा?

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