

डेस्क खबर बिलासपुर.. / प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा चलाये जा रहे सुशासन तिहार समाधान शिविर के तहत बुधवार को बिलासपुर पहुँचे राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सर्किट हाउस मे पत्रकारों से चर्चा करते हुए कांग्रेस राज मे महर्षि शिक्षण संस्थान जमीन फर्जीवाड़े को गंभीरता से लिया है और पूरे फर्जीवाड़े की निष्पक्ष जाँच की बात कही है साथ ही राजस्व मंत्री ने इस बारे मे अधिकारियों से पूरे मामले की चर्चा के बाद इसकी जाँच की बात भी कही है। गौरतलब है की महर्षि शिक्षण संस्थान ने स्कूल यूनिवर्सिटी खोलने के नाम पर छत्तीसगढ़ सरकार से तखतपुर ब्लॉक में रियायती दर पर 40 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी।

पिछले कांग्रेस शासन काल में महर्षि शिक्षण संस्थान ने इसमें से 10 एकड़ से अधिक जमीन दो लोगों को बेच दी है।इस कारमाने मे सबसे दिलचस्प ये है कि इस जमीन को बेचने से पहले जिला प्रशासन से किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई है। इस गंभीर मामले में Nsui ने भी तत्कालीन बिलासपुर कलेक्टर को शिकायत करते हुए विश्वविद्यालय की मान्यता को तत्काल समाप्त करने की मांग की थी और उन अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की अपील भी की थी जो इस घोटाले में शामिल हैं। यह मुद्दा सिर्फ विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के विश्वास पर सवाल खड़ा करता है।
2002-03 में कांग्रेस शासन के दौरान महर्षि शिक्षण संस्थान को शिक्षा के उद्देश्य के लिए शासन ने दी थी, जिस आधार पर महर्षि यूनिवर्सिटी को संचालन की मान्यता मिली थी। तत्कालीन बिलासपुर कलेक्टर को बताया गया था की 2020 में विश्वविद्यालय ने इस सशर्त दी गई 38 एकड़ जमीन में से करीब 10.50 एकड़ जमीन को अलग-अलग लोगों को फर्जी तरीके से बेच दिया गया है। दस्तावेज के अनुसार गिरीशचंद्र ने 10 एकड़ से अधिक जमीन को बेचने के लिए विजय कुमार के नाम से पावर ऑफ अटॉर्नी जारी कर दिया। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में विजय कुमार ने 10 एकड़ से अधिक जमीन बिलासपुर के लिंगियाडीह निवासी कश्यप परिवार को बेच दी है। ताज्जुब की बात यह भी है कि कलेक्टर की अनुमति के बिना यह जमीन रजिस्ट्री भी हो गई और नामांतरण भी हो गया।

स्कूल यूनिवर्सिटी के नाम पर ली गई जमीन की खरीद फरोख्त से साफ है कि इस काम में निचले स्तर के राजस्व अफसर भी शामिल हैं। राजस्व मामलों के जानकार वकील का कहना है कि स्कूल यूनिवर्सिटी के नाम पर ली गई जमीन किसी भी हालत में नहीं बेची जा सकती है। वर्तमान में SBR कॉलेज इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसके खेल मैदान को बेच दिया गया था, जिसकी रजिस्ट्री शून्य घोषित कर हाइकोर्ट ने जमीन को सरकार के नाम पर चढ़ाने का आदेश है। वकील का यह भी कहना है कि यदि महर्षि शिक्षण संस्थान के नाम पर ली गई जमीन को बेच दिया गया है तो दस्तावेज के साथ कलेक्टर या फिर कोर्ट में मामले को चुनौती दी जा सकती है।
अब देखना होगा की कांग्रेस राज मे हुए इस फर्जीवाड़े मे राजस्व मंत्री द्वारा जाँच के आदेश के बाद दोषियों पर कब और कितनी जल्दी एक्शन लिया जाता है।

