डेस्क खबर बिलासपुर../मरवाही वन मंडल (छत्तीसगढ़) और अमरकंटक (मध्यप्रदेश) के बीच पिछले पांच दिनों से एक मादा बाघिन का लगातार विचरण स्थानीय लोगों के लिए खतरा बनता जा रहा है। यह बाघिन अब तक चार मवेशियों और दो कुत्तों का शिकार कर चुकी है। ग्रामीणों में दहशत का माहौल है, और लोग अपने कच्चे मकानों को छोड़ शासकीय भवनों में शरण लेने को मजबूर हैं।
बाघिन का मूवमेंट और वीडियो वायरल।
दिसंबर 2024 की शुरुआत में मध्यप्रदेश के अमरकंटक क्षेत्र से छत्तीसगढ़ के मरवाही वन मंडल में आई इस बाघिन को पहले भी पकड़कर अचानकमार टाइगर रिजर्व (ATR) में छोड़ा गया था। लेकिन बाघिन ने फिर से अपना इलाका बदलते हुए कोरबा के कटघोरा वन मंडल से होते हुए मरवाही वन मंडल के गौरेला वन परिक्षेत्र में अपनी मौजूदगी बना ली है।
पिछले पांच दिनों से यह बाघिन मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर ज्वालेश्वर धाम मंदिर के आसपास घूम रही है। उसका विचरण कभी मध्यप्रदेश तो कभी छत्तीसगढ़ की सीमा में देखा जा रहा है। बाघिन के सड़क, बाउंड्री वॉल और रिहायशी इलाकों में घूमने के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में बाघिन को कच्चे मकानों के पास टहलते और जंगल की सीमा के पास सड़कों पर घूमते देखा जा सकता है। पर्यटक और स्थानीय लोग भी बाघिन के वीडियो और फोटो बनाने में जुटे हैं, जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।वन विभाग की सतर्कता और ग्रामीणों की सुरक्षा
वन विभाग ने बाघिन की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखी है। मरवाही वन मंडल के डीएफओ रौनक गोयल ने बताया कि बाघिन की निगरानी के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन विभाग आपसी समन्वय में काम कर रहे हैं। वहीं, ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
ग्रामीणों को स्थानीय शासकीय भवनों में शिफ्ट किया गया है। वन विभाग ने ग्रामीणों और पर्यटकों को सतर्क रहने और बाघिन के पास न जाने की सख्त हिदायत दी है।
पर्यटकों के लिए खतरा बढ़ा
ज्वालेश्वर और अमरकंटक इलाके पर्यटक स्थलों के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहां नियमित रूप से श्रद्धालु और पर्यटक आते रहते हैं। बाघिन की मौजूदगी और उसके वायरल वीडियो पर्यटकों के बीच उत्सुकता का विषय बन गए हैं, लेकिन यह स्थिति उनके लिए खतरनाक हो सकती है।
वन विभाग की चुनौती
इस बाघिन को रेस्क्यू कर एक सुरक्षित स्थान पर ले जाना वन विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण है। बाघिन का बार-बार इलाका बदलना और रिहायशी इलाकों के करीब शिकार करना वन अधिकारियों के लिए चिंता का विषय है। फिलहाल वन विभाग ने बाघिन की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात की है।
ग्रामीणों की अपील
ग्रामीणों ने सरकार और वन विभाग से जल्द से जल्द बाघिन को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बाघिन को यहां से हटाया नहीं जाता, उनकी जान-माल को खतरा बना रहेगा।
मादा बाघिन की बढ़ती गतिविधियों ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। ग्रामीण और पर्यटक सतर्क रहें, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
वन विभाग की सतर्कता और ग्रामीणों की सुरक्षा
वन विभाग ने बाघिन की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखी है। मरवाही वन मंडल के डीएफओ रौनक गोयल ने बताया कि बाघिन की निगरानी के लिए मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन विभाग आपसी समन्वय में काम कर रहे हैं। वहीं, ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
ग्रामीणों को स्थानीय शासकीय भवनों में शिफ्ट किया गया है। वन विभाग ने ग्रामीणों और पर्यटकों को सतर्क रहने और बाघिन के पास न जाने की सख्त हिदायत दी है।
पर्यटकों के लिए खतरा बढ़ा
ज्वालेश्वर और अमरकंटक इलाके पर्यटक स्थलों के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहां नियमित रूप से श्रद्धालु और पर्यटक आते रहते हैं। बाघिन की मौजूदगी और उसके वायरल वीडियो पर्यटकों के बीच उत्सुकता का विषय बन गए हैं, लेकिन यह स्थिति उनके लिए खतरनाक हो सकती है।
वन विभाग की चुनौती
इस बाघिन को रेस्क्यू कर एक सुरक्षित स्थान पर ले जाना वन विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण है। बाघिन का बार-बार इलाका बदलना और रिहायशी इलाकों के करीब शिकार करना वन अधिकारियों के लिए चिंता का विषय है। फिलहाल वन विभाग ने बाघिन की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम तैनात की है।
ग्रामीणों की अपील
ग्रामीणों ने सरकार और वन विभाग से जल्द से जल्द बाघिन को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर भेजने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बाघिन को यहां से हटाया नहीं जाता, उनकी जान-माल को खतरा बना रहेगा।
मादा बाघिन की बढ़ती गतिविधियों ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। ग्रामीण और पर्यटक सतर्क रहें, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।