

डेस्क खबर ../ बिलासपुर में आयुर्वेद विभाग से जुड़े एक फर्जी नियुक्ति मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस प्रकरण में एक ही व्यक्ति द्वारा दो अलग-अलग अंकसूचियों का उपयोग कर चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति प्राप्त करने का आरोप है। इनमें से एक रिजल्ट रेगुलर 44% अंकों के साथ वर्ष 2009 का है, जबकि दूसरा समतुल्यता प्रमाण पत्र 97% अंकों के साथ वर्ष 2008 का है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि यदि 2009 में 44% अंक थे तो 2008 में 97% अंक किस आधार पर आए और फिर समतुल्यता प्रमाण पत्र की आवश्यकता क्यों पड़ी?

इस संदर्भ में आरोप है कि आयुर्वेद महाविद्यालय/चिकित्सालय के प्राचार्य/अधीक्षक ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह नियुक्ति पूरी तरह से फर्जी है और भर्ती नियमों के तहत दो प्रमाण पत्र होने की स्थिति में नियुक्ति स्वतः निरस्त होनी चाहिए। साथ ही आवेदन में कोई शपथ पत्र भी संलग्न नहीं किया गया है।
संयुक्त कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्राचार्य को सात दिनों के भीतर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। अब देखना यह होगा कि विभाग इस पर कब तक कार्रवाई करता है।



