

डेस्क खबर बिलासपुर./ रामा बिल्डकॉन और उनके परिवार के खिलाफ एक बड़ा काला कारनामा सामने आया है, जिसमें सरकारी भूमि का अवैध आबंटन और एक आदिवासी व्यक्ति की संदिग्ध मौत शामिल है। इन घटनाओं ने स्थानीय समुदाय और पीड़ित परिवारों में रोष उत्पन्न कर दिया है।
अमलीडीह में सरकारी जमीन का अवैध आबंटन
रामा बिल्डकॉन, जिसके मालिक राजेश अग्रवाल हैं, पर आरोप है कि उन्होंने अपनी रसूख और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अमलीडीह में शासकीय नवीन महाविद्यालय के लिए आरक्षित करीब 9 एकड़ सरकारी भूमि को अवैध रूप से प्राप्त किया। यह पूरी प्रक्रिया गुपचुप तरीके से हुई, और जब स्थानीय ग्रामीणों को इस आबंटन की जानकारी मिली, तो उन्होंने तत्काल इसका विरोध किया।
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के पास ज्ञापन भेजकर इस भूमि के आबंटन को तत्काल निरस्त करने की मांग की। बावजूद इसके, अब तक इस जमीन का आबंटन निरस्त नहीं किया गया है। ग्रामीणों ने हमर माटी हमर भुईयां रक्षा समिति अमलीडीह के बैनर तले एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया, और यह आंदोलन अब और जोर पकड़ता जा रहा है। उसके बाद भी सरकार ने सरकारी जमीन रामा बिल्डकांन को स्वीकृत करने की सूचना भी जारी कर दी है।

सर्वेक्षण से यह भी सामने आया है कि यह भूमि पहले से ही शासकीय महाविद्यालय के लिए आरक्षित थी, लेकिन पुराने नियमों के आधार पर रामा बिल्डकॉन को इसे आबंटित कर दिया गया। इसके अलावा, प्रदेश में सरकार बदलने के बाद सरकारी भूमि के आबंटन के नियमों को रद्द कर दिया गया था, लेकिन इस प्रक्रिया को पुरानी व्यवस्था के तहत ही अंजाम दिया गया। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी, और इसके पीछे किसी प्रकार की साजिश की आशंका व्यक्त की जा रही है।
. कोरबा में संदिग्ध मौत का मामला: न्याय की गुहार
दूसरी घटना कोरबा जिले के हरदीबाजार से जुड़ी है, जहां गौतम पोर्ते ने अपने पिता, सोहन सिंह पोर्ते की संदिग्ध मौत की जांच की मांग की है। गौतम का कहना है कि उनके पिता की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या थी। सोहन सिंह हिंद एनर्जी कंपनी में काम करते थे, और वहां उन्हें कंपनी के अवैध कार्यों में शामिल होने के लिए दबाव डाला जा रहा था।
गौतम पोर्ते ने पुलिस को शिकायत करते हुए बताया कि 10 अप्रैल 2023 को कंपनी के कर्मचारी परमानंद राठौर और अन्य लोग उनके पिता को धमकाने के लिए उनके घर आए थे। इसके बाद सोहन सिंह लापता हो गए, और अगले दिन उनका शव घर से कुछ दूरी पर एक पेड़ से लटका हुआ पाया गया। पुलिस ने इस मामले को जल्दबाजी में आत्महत्या करार दे दिया, जबकि मर्ग रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई विरोधाभास थे। गौतम पोर्ते ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उचित जांच नहीं की और उन्हें भी धमकाया। अब वह पुलिस से इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि दोषियों को कड़ी सजा मिल सके।
. राजेश अग्रवाल और परिवार का काला कारनामा: मृतक की जमीन पर रजिस्ट्री के खेल का सहित मेग्नेटो माल और तालाब की जमीन का कैसे खेला गया खेल…? खुलासा अगले अंको मे दस्तावेजो के साथ

इन दोनों घटनाओं के बीच एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें राजेश अग्रवाल और उनके परिवार ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए एक मृतक व्यक्ति की जमीन पर रजिस्ट्री करवाई। यह जमीन पहले मृतक के नाम पर थी, लेकिन कुछ समय बाद राजेश अग्रवाल ने इस जमीन को अपने नाम करा लिया।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह रजिस्ट्री पूरी तरह से अवैध थी, और इस पर दबाव डालकर यह प्रक्रिया पूरी की गई। इस मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं।

