छत्तीसगढ़

अधिकारी बदले लेकिन भर्राशाही वही, जीएसटी विभाग ठप्प: मंत्री जी कुछ करो

रायपुर: विधानसभा चुनाव के दौरान देश के गृह मंत्री ने छत्तीसगढ़ के दौरे पर राज्य के एक युवा आईएएस अधिकारी को बड़ा आदमी बनाने की बात कही थी। चुनाव के बाद, यह युवा आईएएस अधिकारी प्रदेश में सर्वाधिक मतों से विजयी हुआ। गृह मंत्री की बात को चरितार्थ करते हुए इस युवा आईएएस को प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण वित्त मंत्रालय सौंपा गया। इसके पीछे का सबसे बड़ा उद्देश्य जीएसटी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार, घोटालों और भर्राशाही पर अंकुश लगाना था। यह वही विभाग है जिसके तत्कालीन दो कमिश्नर जेल की सलाखों के पीछे हैं। सत्ता और सरकार के बदलने के बावजूद इन अधिकारियों के काम करने के तरीके में कोई परिवर्तन नहीं आया है।

बीते दिनों कई शिकायतें मिलने के बाद जीएसटी कमिश्नर रजत बंसल को हटाकर पुष्पेंद्र मीणा को इस विभाग का नया जिम्मा सौंपा गया। अधिकारी तो बदल गए, लेकिन विभाग में चल रही भर्राशाही का आलम जस का तस बना हुआ है। विभाग की लचर व्यवस्था और अधिकारियों की अनियमितताओं के कारण मंत्री जी का ग्राफ भी लगातार गिरता जा रहा है। बेरोजगार युवाओं के सवाल-जवाब में मंत्री जी का प्रदर्शन पहले से ही सवालों के घेरे में था, और अब विभाग के अधिकारी भी उनकी स्थिति को और खराब कर रहे हैं।

जीएसटी विभाग में जमकर भर्राशाही हो रही है और अधिकांश कार्य ठप्प पड़े हैं, चाहे वह ई-वे बिल की प्रक्रिया हो या राजस्व की वसूली। जीएसटी विभाग वह स्थान है जहाँ सरकार का खजाना भरना तो दूर, इसके अधिकारियों का राजस्व दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। अधिकारी अपनी शक्तियों के नशे में इतने मदमस्त हो चुके हैं कि अब वे व्यापारियों से भी दुर्व्यवहार करने लगे हैं। व्यापारी वर्ग लगातार इनके दुर्व्यवहार की शिकायत कर रहा है, लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

मंत्री जी को समय रहते अपने विभाग में सुधार के उपाय करने चाहिए। गिरते हुए ग्राफ को रोकने और जीएसटी विभाग में व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि मंत्री जी इस दिशा में ध्यान देते हैं, तो निश्चित ही उनकी और उनकी सरकार की छवि में सुधार होगा, और सुशासन की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। व्यापारियों और जनता का विश्वास जीतने के लिए उन्हें अपने विभागीय अधिकारियों पर कड़ी निगरानी रखनी होगी।

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